April 4, 2011

हे राम, आप स्वीकार करें नये भक्तों का भाव


निराला
कुछ वर्ष पूर्व जब भारतीय राजनीति में किन्नरों की सक्रियता बढ़ी, निकाय वगैरह के चुनावों में उनकी जीत हुई तो एक किस्सा पढ़ने को मिला था. भगवान राम जब लंका से अयोध्या लौट रहे थे तो सरयू किनारे उन्होंने एक नयी बस्ती बसी हुई देखी. उन्होंने पुष्पक विमान को वहां उतरवा दिया. वहां उतरने के बाद वे बस्ती में गये और पूछा कि 14 साल पहले जब मैं अयोध्या से जा रहा था तो यहां कोई बस्ती नहीं थी, क्या यह उसके बाद की नयी बसाहट है. बस्तीवालों ने बताया कि आप जब विदा हो रहे थे तो आपने यह कहा था कि हे अयोध्या के नर-नारी, आपलोग अब लौट जायें और मुझे वनवास के लिए जाने दें. आपके कहने के बाद अयोध्या के सारे नर-नारी तो वापस चले गये थे लेकिन हमलोगों से आपने कुछ कहा ही नहीं. हम तो न नर थे, न नारी. सो हम यहीं बस गये कि आपके आगमन के इंतजार में. कथा-कहानी के अनुसार भगवान राम ने उन किन्नरों को अपना सबसे बड़ा भक्त बताते हुए वर दिया कि जिस धैर्य से इतने वर्षों तक आपलोगों ने इंतजार किया, उसका फल कलियुग में मिलेगा. आप भी राजा बनोगे. कलियुग में किन्नरों की जीत का उस वरदान से वास्ता हो न हो लेकिन भगवान राम ने उन्हें अपना सबसे बड़ा और सच्चा भक्त कहा था.
 दो अप्रैल की रात जब अचानक रामभक्तों का सैलाब सड़कों पर निकला तो वह रामायण का वह किस्सा याद आने लगा. रावण को तरह-तरह की गालियां देते हुए, बाइक-कार को 80-100 की रफ्तार में चला रहे कलियुग के ये नये रामभक्त थे. सड़क पर दारू की बोतल फोड़ते हुए ‘जयश्रीराम’ का नारा लगानेवालेे, सबको रौंदकर आगे निकल जाने को बेताब नये रामभक्त. वैसे रामभक्त जो पल भर में उत्सव को चुटकी बजाते हुए उन्माद में बदलते हैं.
 पाकिस्तान से जीत हुई तो तमाशा वैसा ही हुआ था. पाकिस्तान के खिलाफ रगों में  इष्र्याभाव है तो हुड़दंग का मचना तय था. श्रीलंका से जीतने पर भी उत्सव की बजाय उन्माद ही दिखेगा, इसकी उम्मीद तो नहीं थी. लग रहा था कि यह सिर्फ क्रिकेट या एक खेल तक सीमित रहेगा. खेल में जीत होगी तो उत्सव मनेगा, खुशियां मनेंगी. इस अपेक्षा के वाजिब कारण भी थे. चारों ओर से अशांत वातावरण में घिरे भारत का रिश्ता जो भी थोड़ा बहुत ठीक है, वह श्रीलंका से ही है वरना सबसे पास रहते हुए भी नेपाल से फासले किस कदर बढ़ते जा रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है. बांग्लादेश और पाकिस्तान खुद अशांत है और भारत में उसे बिल्कुल दूसरे रूप में पेश किया जाता है. म्यांमार, तिब्बत वगैरह चीन की चिरौरी करते है. फिलहाल, श्रीलंका ही थोड़ा-थोड़ा अपना जैसा लगता है. लेकिन बहुत हद तक मीडिया के सौजन्य से श्रीलंका को रावण से कनेक्ट कर दुश्मनी के तत्व को तलाश लिया गया. उत्सव के लिए नहीं, उन्माद के लिए. नतीजा यह कि ंजीत की रात और उसके अगले दिन तीन अप्रैल की शाम तक उन्माद छाया रहा. किन्नरों की धैर्यक्षमता से प्रभावित होकर उन्हें सबसे अहम भक्त बतानेवाले भगवान राम क्या सोच रहे होंगे अपने इन नये असंख्य भक्तों के बारे, यह सिर्फ कल्पना करने की बात है. फिलहाल तो जश्न का माहौल है. क्रिकेट धर्म है, उसके खिलाड़ी भगवान. फिलहाल हम विश्वविजेता के यूटोपिया में जी रहे हैं, कल इस खेल में हार जायेंगे तो हम दुनिया के सामने सबसे लाचार- बीमार देश होंगे, अभी के अनुसार परारित मुल्क के नागरिक हो जायेंगे. राम जो सोच रहे होंगे, वह सोचते रहें फिलहाल जश्न के इस माहौल विश्वकप मंदिर बननेवाला है, उसका इंतजार कीजिए, माॅडल पूनम अपने पिता के सहयोग से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए न्यूड होने को बेकरार हैं, उसका साथ दीजिए. यह समय की मांग है. आगे आइपीएल है.

1 comment:

Pranav said...

pada..!
Acchha hai, aaj news chanlo ki sankhya itni adhik hai ki unke pas dikhane k liye kuch v nhi hai. mahaj kuch ek sal pahle jab hmare des me doordarsan hi ek matra mhatwapur madhyam yha to uspar khelon k liye muskil se 3-4 minute milte the . aaj k chanals pura din saniya mirja ki sadi ki taiyari pr nikal deten hain. agar kricket se unmad nikala to kya ascharya..................???